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दम है तो आओ लो मैदान बुहार

छुप कर करते जो वार पीठ पर,
वह बुजदिल कायर नीच मक्कार।
निहत्थे नागरिकों को मारने वालों,
दम है तो आओ लो मैदान बुहार ।
मारेंगे तुमको चुन चुन खेद खेद कर,
मिलेगा जगत में न बचावनहार।
तुम चाहे जिस बिल में छुप लो,
तुमको न दिखने देंगें हम संसार।
यह प्रण है हर भारतवासी का,
खून का बदला जरुर चुकाएंगे।
तुम और तुम्हारे हर आका को,
अब हम अपनी भाषा में समझाएंगे।
तुमने की भूल हमें समझने की,
हम बुद्ध, अब शिव की भाषा गाएंगे।
क्षण क्षण, कण कण से तुमको,
समूल सकल सृष्टि से मिटायेंगे ।।
– हरी राम यादव
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